black and white bed linen

Savor Fresh News

Join us for fresh and interesting stories, best enjoyed with a warm cup of tea.

लॉ ऑफ थ्राइव इफेक्ट" (Law of Thrive Effect) वास्तव में एक प्रेरणादायक और आत्म-विकास से जुड़ा सिद्धांत है, जो इस विचार पर आधारित है कि हम जिन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वे हमारे जीवन में प्रभाव डालती हैं। जब हम किसी चीज़ से बचना चाहते हैं और बार-बार उसी के बारे में सोचते रहते हैं, तो हमारी चेतना उसी पर केंद्रित हो जाती है। परिणामस्वरूप, हम अनजाने में उसी नकारात्मक स्थिति को अपने जीवन में आमंत्रित कर लेते हैं।

लॉ ऑफ थ्राइव इफेक्ट का अर्थ:"थ्राइव" का अर्थ होता है समृद्धि या विकास करना यह सिद्धांत कहता है कि यदि हम अपने जीवन में सकारात्मकता, विकास और खुशहाली पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमारे अनुभव भी वैसे ही बन जाते हैं।

इसका सीधा संबंध हमारे विचारों, भावनाओं और विश्वासों से है। जब हम अपनी ऊर्जा को सकारात्मक लक्ष्यों, अवसरों और समाधान पर केंद्रित करते हैं, तो हमारी चेतना और व्यवहार भी उसी दिशा में काम करने लगते हैं, जिससे सफलता और खुशी की संभावना बढ़ जाती है।

लॉ ऑफ थ्राइव इफेक्ट के मुख्य सिद्धांत:

  1. ध्यान केंद्रित करना:

    • जिस चीज़ पर आप ध्यान देंगे, वही आपके जीवन में बढ़ेगी।

  2. सकारात्मक सोच:

    • सकारात्मक विचार और विश्वास आपके अनुभवों को सकारात्मक बनाएंगे।

  3. क्रियाशीलता:

    • केवल सोचने से कुछ नहीं होगा, सही दिशा में कार्य भी करना ज़रूरी है।

  4. आभार व्यक्त करना:

    • जो कुछ भी आपके पास है, उसके लिए आभार व्यक्त करने से और अधिक सकारात्मकता आकर्षित होती है।

उदाहरण:

  • यदि कोई व्यक्ति अपने करियर में सफल होना चाहता है, तो उसे असफलता के डर की जगह अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

  • स्वस्थ जीवन जीने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति, बीमारियों के बारे में चिंता करने की जगह, अच्छी आदतों को अपनाने पर ध्यान देगा।

लॉ ऑफ थ्राइव इफेक्ट कैसे अपनाएं?

  1. सकारात्मक विचार अपनाएं: नकारात्मकता से बचें और हर स्थिति में कुछ अच्छा देखने का प्रयास करें।

  2. ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन: अपनी सफलता की कल्पना करें और उस भावना को महसूस करें।

  3. आभार जताएं: जो कुछ भी आपके पास है, उसके लिए रोज़ आभार व्यक्त करें।

  4. लक्ष्य निर्धारित करें: अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करें और उन्हें पाने के लिए कार्य करें।

इसका सार क्या है?

  • जहाँ ध्यान जाता है, ऊर्जा वहीं बहती है।

  • अगर हम नकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो जीवन में और अधिक नकारात्मक अनुभव आने लगते हैं।

  • वहीं, अगर हम सकारात्मकता, समाधान और अच्छे अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

उदाहरण:

  • अगर कोई व्यक्ति असफलता के डर से लगातार उसी के बारे में सोचता रहे, तो वह अपनी ऊर्जा को असफलता की ओर खींच सकता है।

लेकिन अगर वही व्यक्ति आत्मविश्वास और सफलता की कल्पना करे, तो उसकी चेतना उसे सही दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगी।

निष्कर्ष:
"
लॉ ऑफ थ्राइव इफेक्ट" हमें सिखाता है कि हम अपने विचारों और दृष्टिकोण को नियंत्रित करके अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली ला सकते हैं। जब हम सकारात्मकता को अपनाते हैं, तो जीवन भी उसी तरह सुंदर और सफल बनता है।इसलिए, जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना और अपने विचारों को नियंत्रित करना बेहद ज़रूरी है

कालातीत अवस्था

समाधि और समय:
समाधि, ध्यान की अंतिम अवस्था मानी जाती है, जहाँ साधक पूर्ण आत्म-साक्षात्कार या ब्रह्मानुभूति को प्राप्त करता है। इस अवस्था में समय की अवधारणा समाप्त हो जाती है। अतीत का बोझ होता है, भविष्य की चिंताकेवल शुद्ध वर्तमान का अनुभव शेष रहता है।

कालातीत अवस्था का अर्थ:

  • वर्तमान क्षण में जीना: समाधि में व्यक्ति केवल "अभी और यहीं" में होता है।

  • मन और विचारों का अंत: चित्त की गतिविधियाँ रुक जाती हैं, जिससे समय का बोध भी समाप्त हो जाता है।

  • शांति और आनंद: यह अवस्था अत्यधिक शांतिपूर्ण और आनंदमय होती है, क्योंकि मन किसी भी द्वंद्व या चिंता में नहीं उलझा होता।

आध्यात्मिक दृष्टि से:
यह अनुभव अक्सर योग और ध्यान के गहरे अभ्यास के परिणामस्वरूप आता है। कई संत और दार्शनिक इसे परम सत्य या आत्मज्ञान की अवस्था मानते हैं, जहाँ जीवन की सीमाएं मिट जाती हैं और व्यक्ति अखंड आनंद में लीन हो जाता है।

जॉन स्टुअर्ट मिल - उपयोगितावाद (Utilitarianism) सिद्धांत

"किसी भी कार्य को सही माना जाता है यदि वह खुशी (सुख) को बढ़ावा देता है और उसे गलत माना जाता है यदि वह खुशी के विपरीत प्रभाव डालता है।"

यह विचार यह दर्शाता है कि नैतिकता को क्रियाओं के परिणामों के आधार पर आंका जाना चाहिए, और सही कार्य वही होता है जो अधिकतम लोगों के लिए अधिकतम खुशी लाए।

सही कार्यों के उदाहरण (जो खुशी को बढ़ाते हैं)

  1. किसी ज़रूरतमंद की मदद करना

    • किसी गरीब व्यक्ति को भोजन या दवा देना, जिससे उसकी तकलीफ़ कम हो और उसे खुशी मिले।

  2. शिक्षा की व्यवस्था करना

    • सरकार द्वारा मुफ्त शिक्षा की सुविधा देना, जिससे बच्चों को बेहतर भविष्य मिले और समाज में समग्र खुशी बढ़े।

  3. समयदान या सेवा करना

    • वृद्धाश्रम में समय बिताना या अनाथालय में बच्चों को पढ़ाना, जिससे दूसरों को खुशी मिलती है और सेवा करने वाले को भी संतुष्टि मिलती है।

  4. पर्यावरण संरक्षण

    • पेड़ लगाना और प्लास्टिक का कम उपयोग करना, जिससे पर्यावरण स्वच्छ रहता है और सभी को स्वास्थ्य लाभ और खुशी मिलती है।

गलत कार्यों के उदाहरण (जो दुख को बढ़ाते हैं)

  1. झूठ बोलना या धोखा देना

    • व्यापार में ग्राहकों को नकली या खराब उत्पाद बेचना, जिससे उनका पैसा और विश्वास दोनों नष्ट होते हैं और वे दुखी होते हैं।

  2. दूसरों को अपमानित करना या बदसलूकी करना

    • किसी को स्कूल या कार्यस्थल पर चिढ़ाना या अपमानित करना, जिससे मानसिक तनाव और दुख बढ़ता है।

  3. भ्रष्टाचार करना

    • किसी अधिकारी द्वारा रिश्वत लेना और जनता के लिए जरूरी योजनाओं को लागू करना, जिससे समाज में असमानता और दुख बढ़ता है।

  4. प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग

    • जंगलों की कटाई या नदियों को प्रदूषित करना, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है और भविष्य में लोगों को कष्ट सहना पड़ता है।

ये उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि उपयोगितावाद के अनुसार वही कार्य नैतिक होते हैं, जो अधिकतम लोगों के लिए खुशी लाते हैं और जो दुख का कारण बनते हैं, वे अनैतिक माने जाते

स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संतुलन

स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संतुलन एक ऐसा विचार है जो न केवल अस्तित्ववादी दर्शन (Existentialist Philosophy) का मूल है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर छोटे-बड़े निर्णय में भी परिलक्षित होता है।

स्वतंत्रता: चुनाव करने का अधिकार

हम सभी को अपनी ज़िंदगी में अपने निर्णय खुद लेने की स्वतंत्रता होती है। हम यह तय कर सकते हैं कि हमें क्या करना है, किस दिशा में आगे बढ़ना है, और कौन-से मूल्य या आदर्श हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। यही स्वतंत्रता हमें हमारी पहचान बनाने और अपने जीवन को अर्थ देने की शक्ति प्रदान करती है।

अस्तित्ववादी दार्शनिक जीन-पॉल सार्त्र कहते हैं कि "मनुष्य स्वतंत्र होने के लिए अभिशप्त है।" इसका अर्थ यह है कि चाहे हम चाहें या न चाहें, हमें अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने पड़ते हैं। हमारे पास अपने कार्यों को चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता है, लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है।

जिम्मेदारी: अपने निर्णयों का भार उठाना

स्वतंत्रता के साथ-साथ हमें अपने कार्यों और उनके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी भी लेनी पड़ती है। जब हम कोई निर्णय लेते हैं, तो उसके सकारात्मक या नकारात्मक प्रभावों के लिए हम स्वयं उत्तरदायी होते हैं।

  • यदि हम कोई सही निर्णय लेते हैं, तो उसका श्रेय हमें ही जाता है।

  • लेकिन यदि हमारा निर्णय गलत साबित होता है, तो हम इसके लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते।

अक्सर लोग अपनी गलतियों के लिए परिस्थितियों, भाग्य, या दूसरों को दोष देते हैं, लेकिन अस्तित्ववादी नैतिकता हमें यह सिखाती है कि हमारे निर्णयों का परिणाम पूरी तरह हमारे हाथ में होता है।

स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संतुलन

अस्तित्ववाद के अनुसार, यदि व्यक्ति केवल स्वतंत्रता को अपनाए लेकिन जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करे, तो वह अपने वास्तविक स्वरूप से दूर हो जाएगा। इसी तरह, यदि कोई केवल जिम्मेदारी को महसूस करे लेकिन अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता का उपयोग न करे, तो वह स्वयं को दूसरों के नियंत्रण में रहने के लिए बाध्य कर लेता है।

इसलिए, सही जीवन वही है जिसमें व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करता है और अपने कार्यों की पूरी जिम्मेदारी भी स्वीकार करता है।

उदाहरण

मान लीजिए, कोई व्यक्ति एक व्यवसाय शुरू करता है। उसे पूरी स्वतंत्रता है कि वह कैसे व्यापार करेगा, किन नियमों का पालन करेगा, और किस प्रकार अपने ग्राहकों को सेवा प्रदान करेगा। लेकिन यदि व्यापार में घाटा होता है, तो उसे यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि यह उसके निर्णयों का परिणाम है, न कि केवल भाग्य या अन्य बाहरी कारणों का।

इसी प्रकार, यदि कोई छात्र पढ़ाई में मन नहीं लगाता और परीक्षा में असफल हो जाता है, तो वह यह नहीं कह सकता कि यह शिक्षक की गलती थी या परिस्थितियाँ खराब थीं। उसने जो चुनाव किया (पढ़ाई न करना), उसी का परिणाम उसे मिला।

निष्कर्ष

स्वतंत्रता और जिम्मेदारी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

  • स्वतंत्रता हमें अपनी ज़िंदगी के निर्णय लेने की शक्ति देती है।

  • जिम्मेदारी हमें यह अहसास कराती है कि हम अपने कार्यों के लिए जवाबदेह हैं।

अगर हम इन दोनों को संतुलित रूप से अपनाते हैं, तो हम न केवल एक नैतिक और सार्थक जीवन जी सकते हैं, बल्कि अपनी स्वतंत्रता का सही उपयोग भी कर सकते हैं। यही अस्तित्ववादी नैतिकता का सार है।

A folded newspaper lies on a blue patterned train seat. The newspaper's headline is partially visible, reading 'QUITS No. 10 JOB.' The background reveals a train interior, with blue and turquoise accents.
A folded newspaper lies on a blue patterned train seat. The newspaper's headline is partially visible, reading 'QUITS No. 10 JOB.' The background reveals a train interior, with blue and turquoise accents.

Gallery

Explore fresh and interesting khabers with a cup of tea.

A newspaper is resting on a woven chair, prominently showing a front-page article with a photo of a man in a suit covering his face. The background is blurred, with several people walking, some carrying backpacks and wearing casual summer clothing.
A newspaper is resting on a woven chair, prominently showing a front-page article with a photo of a man in a suit covering his face. The background is blurred, with several people walking, some carrying backpacks and wearing casual summer clothing.
A neon sign reading 'Newsstand' is displayed with bright orange and blue colors. The sign is mounted on a wall in an indoor setting with reflections of neon lights on the shiny surface. The surrounding area appears dimly lit, enhancing the sign's glow.
A neon sign reading 'Newsstand' is displayed with bright orange and blue colors. The sign is mounted on a wall in an indoor setting with reflections of neon lights on the shiny surface. The surrounding area appears dimly lit, enhancing the sign's glow.
A newspaper lies on a concrete sidewalk with a headline reading 'WORKING ON IT'. The newspaper appears partially crumpled with its pages curling at the corner. It features a mix of photographs and text, including an image of a person in the top section. Sunlight casts a shadow across part of the newspaper and the sidewalk, adding to the scene's contrast.
A newspaper lies on a concrete sidewalk with a headline reading 'WORKING ON IT'. The newspaper appears partially crumpled with its pages curling at the corner. It features a mix of photographs and text, including an image of a person in the top section. Sunlight casts a shadow across part of the newspaper and the sidewalk, adding to the scene's contrast.
A newspaper is laid out on a round wooden table near a window. The view outside shows a row of red and blue tents in a public space, with buildings in the background. The light coming through the window creates a warm, subdued atmosphere inside.
A newspaper is laid out on a round wooden table near a window. The view outside shows a row of red and blue tents in a public space, with buildings in the background. The light coming through the window creates a warm, subdued atmosphere inside.
A green newspaper with bold black text suggesting an upcoming event lies angled on a rough stone surface. The background is a plain, light-colored wall, giving a stark contrast to the vibrant hue of the newspaper.
A green newspaper with bold black text suggesting an upcoming event lies angled on a rough stone surface. The background is a plain, light-colored wall, giving a stark contrast to the vibrant hue of the newspaper.